मोती का ज्योतिषीय परिचय:
मोती रत्न चंद्रमा का रत्न माना गया है। वेदिक ज्योतिष में चंद्रमा
को कर्क राशि का स्वामी ग्रह कहा गया है। इसके अनुसार मोती कर्क राशि वाले जातकों
के लिए राशि रत्न है। रत्नों में मोती का स्थान वही है जो ग्रहों में चंद्रमा
का स्थान है। वेदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब का ग्रह है
और मानव जीवन पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। यही एकमात्र ऐसा ग्रह है जो
अपने शुभ या अशुभ फल देने के लिए किसी महादशा या अंतरदशा का इंतजार नहीं करता और
प्रतिपल मानव जीवन प्रभावित करता है। इसलिए
मोती धारण करके चंद्रमा के बुरे फलो को कम किया जा सकता है तथा अच्छे फलों को
बढ़ाया जाता है।
विज्ञान की दृष्टि से:
चंद्रमा का पृथ्वी पर और
पृथ्वी वासियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसके दो प्रमाण बहुत स्पष्ट दिखाई
देते हैं। एक वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार इस बात की पुष्टि होती है कि समुद्र
में आने वाला ज्वार भाटा चंद्रमा के गुरुत्वाकार्षण बल के कारण ही आते हैं। इस
प्रकार जल मे हलचल पैदा करने की क्षमता रखने वाला चंद्रमा मानव शरीर में प्रभाव न
रखता हो ऐसा संभव नहीं लगता। मानव शरीर का 60 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा जल है और
उस पर भी चंद्रमा का प्रभाव अवश्य ही पड़ता होगा। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो
मानसिक रूप से विक्षिप्त होते हैं उन्हें भी पूर्णिमा के दिन बहुत तकलीफ होती
है।
कौन कौन धारण कर सकता है
मोती:
मोती कर्क राशि के जातक
राशि रत्न के रूप में धारण कर सकते हैं। इनके अलावा भी अपने चंद्रमा को मजबूत
करने और मानसिक मजबूती को बनाए रखने के लिए कोई भी व्यक्ति मोती धारण कर सकता है।
जिस व्यक्ति को अत्यधिक क्रोध आता है उसे भी अपने क्रोध पर नियंत्रण के लिए मोती
पहनना चाहिए।
वेदिक ज्योतिष के अनुसार जातक की राशि वह राशि होती है जिसमें जन्म के
समय चंद्रमा उपस्थित होता है। इस राशि का प्रभाव जातक के जीवन में हमेशा रहता है। इस
प्रकार चंद्रमा का प्रभाव मानव के जीवन पर हमेशा प्रभाव रहता है। इसलिए ऐसा माना जाता
है कि जीवन की हर समस्या का सामाधान मोती रत्न धारण करके निकाला जा सकता है।
धन से संबंधित समस्या हो, अध्ययन
से संबंधित समस्या हो, पारिवारिक कलह हो या और कुछ। मोती धारण करने से जातक
मानसिक रूप से इतना मजबूत होता है कि इन सब परिस्थितियों से कैसे निकलना है इसका रास्ता
बना लेता है।
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