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सुलेमानी हकीक


इसके प्रभाव के कारण ही मुख्‍य रत्‍नों से ज्‍यादा धारण किया जाता है सुलेमानी हकीक।

पूरी दुनिया में धारण किया जाने वाला रत्‍न सुलेमानी हकीक अब भारत में भी बहुत लोकप्रीय होता जा रहा है। इसकी लोकप्रीयता का कारण इसका प्रभाव है। विदेशों में इसे अगेट के नाम से जाना जाता है। सकारात्‍मकता तथा रुपए पैसे से संबंधित परेशानियों से बचने के लिए इसे धारण करते हैं।

इसकी सबसे अच्‍छी बात यह है कि इसे कोई भी राशि वाला व्‍यक्ति धारण कर सकता है और जीवन की सबसे मुख्‍य और पीड़ादायक परेशानी 'आर्थिक व‍िषमता' से छुटकारा पा सकता है। 

सुलेमानी हकीक वेदिक ज्‍योतिष में राहू केतु और शनि से संबंधि‍त रत्‍न है। शनि यदि अच्‍छे प्रभाव न दे रहे हों तो जीवन में हर काम देर से होता है। हमारी शादी, कामकाज, सम्‍मान सब ईश्‍वर ठंडे बस्‍ते में डाल देते हैं। इसी प्रकार से राहू धन प्राप्‍ति के कारक है यह हमें अचानक धन प्राप्‍त करने के मार्ग में आगे लेकर जाते हैं। राहू यदि सही न हो तो हमारा पैसा बहुत जगह अटक जाता है। हमें हमारी गाढ़ी मेहनत की कमाई ही नहीं प्राप्‍त होती। इसके अलावा दुर्घटना का डर भी हमेशा लगा रहता है। केतु मुख्‍यत धन संचय के कारक हैं। इनकी स्‍थि‍ति सही न हो तो धन तो बहुत आता है लेकिन जरुरत के समय में आपके पास नहीं मिलता।

इन विकट परिस्थितियों में सुलेमानी हकीक धारण करना बहुत लाभकारी होता हैं। यह शनि राहू और केतु के दुश्‍प्रभावों को बैलेंस करता है और आर्थिक क्षेत्र में तीव्र विस्‍तार देता है।

यह अभिमंत्रित सुलेमानी हकीक प्राप्‍त तो बहुत आसानी से हो जाता है लेकिन प्रभावी सुलेमानी हकीक वही है जो पूर्ण रुप से तांत्रिक प्रक्रिया से अभिमंत्रित किया गया हो और विधिवत धारण किया जाए। मेरा अनुभव है कि ज्‍योतिष आशा संस्‍थान इस कार्य को संपूर्ण जिम्‍मेदारी से करता है। यह संस्‍थान वैज्ञानिक और आध्‍यात्‍मिक दृष्टिकोण से संतुष्‍टि के बाद ही इच्‍छुक लोगों को सामान भेजता है।

इसे किसी भी रूप में धारण करें इसके प्रभाव में कोई परिवर्तन नहीं आता। इसे माला के रुप में, लॉकेट के रुप में और अंगूठी के रुप में धारण किया जाता है।


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