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मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सिद्ध श्री जी मुद्रिका |
यही अच्छे और बुरे योग तय करते हैं कि व्यक्ति जीवन में क्या हांसिल कर पाएगा कितने सुखों का भोग करेगा और कैसे अपना जीवन बिताएगा।
लोग जन्म से मिले योगों को ही अपनी नियति मान लेते हैं और पूरा जीवन संघर्षों में ही बिता देते हैं।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि ज्योतिष आशा के शोधाचार्यों ने अनुसंधान के उपरांत यह पाया कि कुंडली के योग कुछ और नहीं केवल ग्रहों की युति और उनके विशेष फल हैं। जिसका प्रभाव हम रत्नों के माध्यम से अधिक या कम करके प्राप्त कर सकते हैं।
आइए ऐसे ही एक योग और उसके प्रभाव पर चर्चा करते हैं:
शुक्र और बुध ग्रह दो शुभ ग्रह हैं। इनके अच्छे प्रभाव मानव को कभी भी किसी प्रकार की कमी नहीं होने देते। हमेशा धन संपदा से परिपूर्ण रखते हैं और हर प्रकार से सुख देते हैं।
इन दोनों ग्रहों की कुंडली में युति को लक्ष्मी नारायण योग के नाम से जाना जाता है। यह नाम ऋषि मुनियों ने इस महाशुभ फल देने वाले योग के आधार पर ही दिया होगा। इस योग में व्यक्ति धनवान होता है, समाज में प्रतिष्ठा पाता है, हर प्रकार का सुख उसके अधीन होता है।
श्री जी मुद्रिका इस योग के प्रभाव को प्राप्त करने के उद्देश्य से ही खोजी गई है। इस मुद्रिका में दोनों ग्रहों के उपरत्नों को शामिल कर विशेष समय में विशेष विधि से अभिमंत्रित किया गया है जिससे यह धारण करने पर शुक्र बुध की युति वाले फल देती है।
इसको धारण करने वाला व्यक्ति लक्ष्मी नारायण योग के समान ही फल पाता है और देखते ही देखते उसकी दरिद्रता का समूल नाश होता है। रूपयों पैसों की स्थति सही होती है और जीवन एक तरह से पटरी पर आ जाता है।
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कौन धारण करें:
इस मुद्रिका को कोई भी व्यक्ति धारण कर सकता है। उन्हें तो अवश्य धारण करनी चाहिए जिनकी कुंडली में लक्ष्मी नारायण योग तो है लेकिन शुक्र या बुध के कमजोर होने के कारण वह इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
इसके अलावा हर वो व्यक्ति इसे धारण करे जो धन आदि की समस्या से गुजर रहा है।
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