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मनुष्य की राशि और राशि रत्न का महत्व

हर व्‍यक्ति किसी न किसी विशेष नक्षत्र और राशि में जन्‍म लेता है। वेदिक ज्‍योतिष के अनुसार किसी भी जातक के जन्‍म के समय चंद्रमा जिस राशि में स्थित होता है उसे ही व्‍यक्ति की राशि के रूप में जाना जाता है। इस राशि का प्रभाव मनुष्‍य के जीवन में उसके हाव भाव में हमेशा ही दिखाई देता है।

राशि का महत्‍व एवं प्रभाव

राशि का महत्‍व समझने से पहले हमें भारतीय ज्‍योतिष में चंद्रमा का महत्‍व समझना चाहिए। चंद्रमा वेदिक ज्‍योतिष में सबसे महत्‍वपूर्ण ग्रह माना गया है। इसका सीधा संबंध मानव के मन-मस्तिष्‍क से होता है। यह पृथ्‍वी के सबसे पास स्थित ग्रह है और इसके गुरूत्‍वाकर्षण का प्रभाव समुद्र में ज्‍वार भाटा के रूप में साफ दिखाई देता है। हमारे ऋषि‍ मुनियों और ज्‍योतिषाचार्यों ने इसे समझा और इसके मानव जीवन पर प्रभाव का अध्‍ययन करके इसे ज्‍योतिष शास्‍त्र का सबसे महत्‍वपूर्ण ग्रह कहा।

चंद्रमा के आधार पर ही मनुष्‍य की जन्‍म राशि तय की जाती है। जन्‍म के समय चंद्रमा आकाश में जिस राशि पर स्थित होता है वही राशि किसी भी व्‍यक्ति की जन्‍म राशि होती है। अगर जन्‍म राशि जीवन में सकारात्‍मक प्रभाव देती है तो मनुष्‍य कभी मन और मस्तिष्‍क के स्‍तर पर परेशान नहीं होता। वह जीवन की हर विकट परिस्‍थितियां हंसते खेलते बिता लेता है और हमेशा खुश रहता है। मजबूत चंद्रमा बेहतर आर्थिक जीवन और परिवारिक सुख का कारक है।

यही कारण है कि वेदिक ज्‍योतिष में राशि के स्‍वामी ग्रह के अनुसार रत्‍न धारण करना सर्वोत्‍तम माना गया है। आइए आपको बताते हैं कि राशि अनुसार कौन सा राशि रत्‍न धारण करना चाहिए और उससे क्‍या लाभ होते हैं-



मेष राशि: मेष राशि राशिचक्र की सबसे पहली राशि है। जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा एक नम्‍बर के साथ यानी की मेष राशि के साथ होता है ऐसे जातक मेष राशि के जातक कहलाते हैं। मेष राशि का स्‍वामी मंगल ग्रह होता है। मंगल ग्रह के प्रभाव के कारण मेष राशि के जातक साहसिक होते हैं। इसके साथ ही ये अत्‍यंत क्रोधी भी होते हैं और जीवन की कई महत्‍वपूर्ण चीजें ये सिर्फ अपने आवेशित निर्णयों या कार्यों के कारण खो देते हैं।

मेष राशि के जातको के लिए रत्‍न और लाभ




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मंगल ग्रह का रत्‍न लाल मूंगा होता है। एक व्‍यस्‍क व्‍यक्ति जिसका शारीरिक भार 50 किलो से ज्‍यादा हो उसे कम से कम 5.25 रत्‍ती का अभिमंत्रित मूंगा अवश्‍य धारण करना चाहिए। यदि मूंगा धारण न कर सकते हों तो रेड गार्नेट भी धारण किया जा सकता है।

यह मंगल ग्रह के सकारात्‍मक प्रभाव को बढ़ाता है। मेष राशि वाले जातक अगर मूंगा धारण करके चंद्र दर्शन करते हैं तो वह खुद को इस बात के प्रेरिक देखेंगे कि वह अब अपनी ताकत का प्रयोग बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं। मेष राशि के ऐसे जातक जो सेनापुलिस आदि में अपना करियर बनाना चाहते हें उन्‍हें भी मूंगा अवश्‍य धारण करना चाहिए।



वृषभ: राशि चक्र की दूसरी राशि वृषभ होती है अर्थात अगर कुंडली में चंद्रमा के साथ दो नम्‍बर लिखा हो तो ऐसे जातक की राशि वृषभ होती है। वृषभ राशि का स्‍वामी शुक्र ग्रह होता है। शुक्र के प्रभाव के कारण ऐसे लोग दिखने में सुंदर होते हैं। भव्‍यता के शौकीन होते हैं और दूसरों को दिखाने के लिए काम करना इन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है। अगर शुक्र ग्रह अच्‍छा न हो और चंद्रमा का दुष्‍प्रभाव पड़ रहा हो तो ऐसे जातकों के दिमाग में केवल यौन और यौवन की बात ही घूमती रहती है। चरम अवस्‍था में ये जातक अनैतिक कार्य करने से भी नहीं रुकते।


वृषभ राशि का स्‍वामी शुक्र है और शुक्र ग्रह का रत्‍न हीरा तथा ओपल होते हैं1 हीरा क्‍योंकि बहुत अधिक मूल्‍य का होता है इसलिए इसकी जगह पर ओपल धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे धारण करके मानसिक तौर पर मजबूती मिलती है। इसके अलावा यह सामाजिक ऐश्‍वर्य को हांसिल करने में भी बहुत मददगार साबित होता है। जीवन को यह रत्‍न भव्‍य बनाता है।

मिथुन राशि:

राशि चक्र की तीसरी राशि होती है मिथुन राशि अर्थात यदि किसी जातक की कुडली में चंद्रमा के साथ तीन नम्‍बर लिखा हो तो उसे समझ जाना चाहिए की उसकी राशि मिथुन है। मिथुन राशि का स्‍वामी ग्रह बुध है। बुध ग्रह बुद्धि और समझदारी का कारक होता है। ऐसे व्‍यक्ति जो बहुत ज्‍यादा पढ़ना चाहते हैं और अध्‍यापन के क्षेत्र या ऐसे ही किसी दूसरे क्षेत्र में जाना चाहते हैं मिथुन राशि के ऐसे जातकों को पन्‍ना रत्‍न अवश्‍य धारण करना चाहिए।

मिथुन राशि के लिए रत्‍न और लाभ




मिथुन राशि का स्‍वामी बुध ग्रह है। इसका रत्‍न पन्‍ना है जो कि हरे रंग का बहुत सुंदर रत्‍न है। क्रय करने की क्षमता न होने पर हरे रंग का ओनेक्‍स भी उपरत्‍न के रूप में धारण किया जा सकता है। इसको धारण करने से सोचने समझने की क्षमता में विकास होगा और अपने सभी काम को आप बेहतर तरीके से कर सकेंगे।

कर्क राशि:

कर्क राशि राशि चक्र की चौथी राशि है। अर्थात जब किसी की कुंडली में चंद्रमा के साथ चार नम्‍बर लिखा हो तो उसकी राशि कर्क होगी। कर्क राशि का स्‍वामी चंद्रमा है यह हमारे मन और मस्तिष्‍क का स्‍वामी होता है। इसलिए अगर यह मजबूत स्थिति में हो तो व्‍यक्ति जीवन में कभी किसी भी परिस्थिति में परेशान बिना हुए कार्य करता है और सफलता तक अवश्‍य पहुंचता है।

कर्क राशि के लिए रत्‍न और लाभ




कर्क राशि का स्‍वामी चंद्रमा है। चंद्रमा से संबंधित रत्‍न मोती होता है। एक व्‍यस्‍क व्‍यक्ति को कम से कम 5.25 रत्‍ती का मोती धारण करना चाहिए। मोती रत्‍न सबसे ज्‍यादा धारण किया जाने वाला रत्‍न है। यह इतना महत्‍वपूर्ण रत्‍न है कि इसे बिना ज्‍योतिषीय परामर्श के भी लोग धारण करते है। क्रोध से मुक्ति और मानसिक दृढ़ता के लिए इसे लोग धारण करते हैं।

सिंह राशि
राशि चक्र की पांचवी राशि सिंह राशि है। इस राशि का स्‍वामी सूर्य होता है। इस राशि के जातक सूर्य के समान तेज वाले व नेतृत्‍व क्षमता रखने वाले होते हैं। स्‍वाभाव से तेजस्‍वी किन्‍तु दूसरों को साथ लेकर चलने वाले होते हैं। ये किसी भी परिस्थिति में क्षल पसंद नहीं करते और न ही करते हैं।

सिंह राशि के लिए रत्‍न एवं उसके लाभ




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सिंह राशि का स्‍वामी सूर्य होता है। सूर्य से संबंधित रत्‍न माणिक होता है और यह जीवन में सूर्य देव के शुभ प्रभावों को लेकर आता है। एक व्‍य‍स्‍क जातक को कम से कम 5.25 रत्‍ती का माणिक धारण करना चाहिए या उससे अधिक भी कर सकते हैं।

कन्‍या राशि:

राशि चक्र की छठी राशि होती है कन्‍या राशि अर्थात यदि किसी जातक की कुडली में चंद्रमा के साथ छ नम्‍बर लिखा हो तो उसे समझ जाना चाहिए की उसकी राशि कन्‍या है। कन्‍या राशि का स्‍वामी ग्रह बुध है। बुध ग्रह बुद्धि और समझदारी का कारक होता है। ऐसे व्‍यक्ति जो बहुत ज्‍यादा पढ़ना चाहते हैं और अध्‍यापन के क्षेत्र या ऐसे ही किसी दूसरे क्षेत्र में जाना चाहते हैं कन्‍या राशि के ऐसे जातकों को पन्‍ना रत्‍न अवश्‍य धारण करना चाहिए।

कन्‍या राशि के लिए रत्‍न और लाभ




कन्‍या राशि का स्‍वामी बुध ग्रह है। इसका रत्‍न पन्‍ना है जो कि हरे रंग का बहुत सुंदर रत्‍न है। क्रय करने की क्षमता न होने पर हरे रंग का ओनेक्‍स भी उपरत्‍न के रूप में धारण किया जा सकता है। इसको धारण करने से सोचने समझने की क्षमता में विकास होगा और अपने सभी काम को आप बेहतर तरीके से कर सकेंगे।

तुला: राशि चक्र की सातवीं राशि तुला होती है अर्थात अगर कुंडली में चंद्रमा के साथ सात नम्‍बर लिखा हो तो ऐसे जातक की राशि तुला होती है। तुला राशि का स्‍वामी शुक्र ग्रह होता है। शुक्र के प्रभाव के कारण ऐसे लोग दिखने में सुंदर होते हैं। भव्‍यता के शौकीन होते हैं और दूसरों को दिखाने के लिए काम करना इन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है। अगर शुक्र ग्रह अच्‍छा न हो और चंद्रमा का दुष्‍प्रभाव पड़ रहा हो तो ऐसे जातकों के दिमाग में केवल यौन और यौवन की बात ही घूमती रहती है। चरम अवस्‍था में ये जातक अनैतिक कार्य करने से भी नहीं रुकते।

तुला राशि के लिए रत्‍न और उससे लाभ




तुला राशि का स्‍वामी शुक्र है और शुक्र ग्रह का रत्‍न हीरा तथा ओपल होते हैं। हीरा क्‍योंकि बहुत अधिक मूल्‍य का होता है इसलिए इसकी जगह पर ओपल धारण करने की सलाह दी जाती है। इसे धारण करके मानसिक तौर पर मजबूती मिलती है। इसके अलावा यह सामाजिक ऐश्‍वर्य को हांसिल करने में भी बहुत मददगार साबित होता है। जीवन को यह रत्‍न भव्‍य बनाता है।

वृष्‍चिक राशि: वृष्‍चिक राशि राशिचक्र की आठवीं राशि है। जिस जातक की कुंडली में चंद्रमा आठ नम्‍बर के साथ यानी की वृष्चिक राशि के साथ होता है ऐसे जातक वृष्‍चिक राशि के जातक कहलाते हैं। वृष्‍चिक राशि का स्‍वामी मंगल ग्रह होता है। मंगल ग्रह के प्रभाव के कारण वृष्‍चिक राशि के जातक साहसिक होते हैं। इसके साथ ही ये अत्‍यंत क्रोधी भी होते हैं और जीवन की कई महत्‍वपूर्ण चीजें ये सिर्फ अपने आवेशित निर्णयों या कार्यों के कारण खो देते हैं।

वृष्‍चिक राशि के जातको के लिए रत्‍न और लाभ




मंगल ग्रह का रत्‍न लाल मूंगा होता है। एक व्‍यस्‍क व्‍यक्ति जिसका शारीरिक भार 50 किलो से ज्‍यादा हो उसे कम से कम 5.25 रत्‍ती का अभिमंत्रित मूंगा अवश्‍य धारण करना चाहिए। यदि मूंगा धारण न कर सकते हों तो रेड गार्नेट भी धारण किया जा सकता है।

यह मंगल ग्रह के सकारात्‍मक प्रभाव को बढ़ाता है। वृष्‍चिक राशि वाले जातक अगर मूंगा धारण करके चंद्र दर्शन करते हैं तो वह खुद को इस बात के प्रेरिक देखेंगे कि वह अब अपनी ताकत का प्रयोग बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं। वृष्‍चिक राशि के ऐसे जातक जो सेना, पुलिस आदि में अपना करियर बनाना चाहते हें उन्‍हें भी मूंगा अवश्‍य धारण करना चाहिए।

धनु राशि

राशि चक्र की नवीं राशि धनु कहलाती है। इस राशि का स्‍वामी गुरू होता है। धनु राशि के लोग शील व शिष्‍ठ होते हैं। वह किसी भी कार्य को नियोजित रूप से करने के आदी होते हैं। यदि इस राशि का प्रभाव व्‍यक्ति पर नकारात्‍मक हो तो व्‍यक्ति के मान सम्‍मान में कमी आ जाती है। वह चाह कर भी अच्‍छे काम नहीं कर पाता।

धनु राशि का रत्‍न एवं उसके लाभ




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धनु राशि का स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति है। इस ग्रह का रंग पीला माना गया है। यह मांगलिक कार्यों को करवाने वाला ग्रह है। इस ग्रह का रत्‍न पुखराज है। पुखराज पीले रंग का चमकदार रत्‍न होता है। एक व्‍यष्‍क व्‍यक्ति को कम से कम 5.25 रत्‍ती का रत्‍न अवश्‍य धारण करना चाहिए। क्षमतानुसार इससे ज्‍यादा भी धारण किया जा सकता है।
इस रत्‍न को धारण करने से मान प्रतिष्‍ठा में वृद्धि तो होती है साथ ही मांगलिक कार्यों में आपका शामिल होना बढ़ जाता है।

मकर राशि

राशि चक्र की दसवीं राशि है मकर राशि। अर्थात अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा के साथ 10 नम्‍बर लिखा हो तो उसकी जन्‍म राशि मकर होगी। इस राशि के लोग काम धीरे अवश्‍य करते हैं लेकिन उसे अंजाम तक जरूर पहुंचाते हैं। संघर्ष इन्‍हें पसंद आता है और हर संघर्ष के उबर कर सफल होना इन्‍हें बहुत अच्‍छा लगता है।

मकर राशि का रत्‍न और लाभ



मकर राशि का स्‍वामी शनि‍ होता है। शनि का रत्‍न नीलम है जो कि नीले रंग का चमकीला रत्‍न है। एक व्‍यष्‍क व्‍यक्ति को कम से कम 5.25 रत्‍ती का नीलम अवश्‍य धारण करना चाहिए। यदि क्षमता है तो इससे अधिक का भी धारण कर सकते हैं।

नीलम धारण करने से शनि देव के संपूर्ण फल प्राप्‍त होते हैं। इसके अलावा मकर राशि के समारात्‍मक व्‍यवहार को जातक पूरी तरह ग्रहण कर पाता है।

कुंभ राशि



राशि चक्र की ग्‍यारवी राशि है कुंभ राशि। अर्थात अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा के साथ 11 नम्‍बर लिखा हो तो उसकी जन्‍म राशि कुंभ होगी। इस राशि के लोग बहुत व्‍यवहार कुशल होते हैं। भावनात्‍मक रूप से यह थोड़े ज्‍यादा भावुक कहे जाते हैं। वैसे अपनी धुन के पक्‍के होते हैं और इन्‍के भी काम को अंतिम पड़ाव पर ले जाकर ही मजा आता है।

कुंभ राशि का रत्‍न और लाभ

कुंभ राशि का स्‍वामी शनि‍ होता है। शनि का रत्‍न नीलम है जो कि नीले रंग का चमकीला रत्‍न है। एक व्‍यष्‍क व्‍यक्ति को कम से कम 5.25 रत्‍ती का नीलम अवश्‍य धारण करना चाहिए। यदि क्षमता है तो इससे अधिक का भी धारण कर सकते हैं।

नीलम धारण करने से शनि देव के संपूर्ण फल प्राप्‍त होते हैं। इसके अलावा मकर राशि के समारात्‍मक व्‍यवहार को जातक पूरी तरह ग्रहण कर पाता है।

मीन राशि
राशि चक्र की 12वीं राशि मीन कहलाती है। इस राशि का स्‍वामी गुरू होता है। मीन राशि के लोग स्‍वाभाव से बहुत आदर्श होता है। तय समय पर काम खत्‍म करना इनकी आदत होती है। राशि के अच्छे प्रभाव न होने की अवस्‍था में व्‍यक्ति को समाजिक बहिष्‍कार झेलना पड़ता है। इसके अलावा झूठे आरोपों से उनकी मान प्रतिष्‍ठा में भी कमी आती है।

मीन राशि का रत्‍न एवं उसके लाभ



मीन राशि का स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति है। इस ग्रह का रंग पीला माना गया है। यह मांगलिक कार्यों को करवाने वाला ग्रह है। इस ग्रह का रत्‍न पुखराज है। पुखराज पीले रंग का चमकदार रत्‍न होता है। एक व्‍यष्‍क व्‍यक्ति को कम से कम 5.25 रत्‍ती का रत्‍न अवश्‍य धारण करना चाहिए। क्षमतानुसार इससे ज्‍यादा भी धारण किया जा सकता है।

इस रत्‍न को धारण करने से मान प्रतिष्‍ठा में वृद्धि तो होती है साथ ही मांगलिक कार्यों में आपका शामिल होना बढ़ जाता है।

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