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राशि रत्न से संबंधित संपूर्ण जानकारी। कब, कहां, कैसे और क्यों करते हैं धारण


राशि रत्‍न के प्रभाव ही हैं जो वेदिक काल से इन्‍हें जीवन में सुधार लाने के लिए पहनाया जाता रहा है। आम जन के साथ बड़े बड़े सेलिब्रिटी भी अपनी राशि अनुसार रत्‍न धारण करके जीवन में बड़ी बड़ी उपलब्‍धियों तक पहुंचे हैं। आपके आस-पास कई ऐसे उदाहरण भी होंगे।

तो आइए बात करते हैं इन्‍हीं चमत्‍कारिक राशि रत्‍नों के बारे में जो अगर सही समय में पहन लिया जाए तो आपके जीवन को संवार सकते हैं:

पुखराज: देवों के गुरू ग्रह बृहस्‍पति का रत्‍न पुखराज रत्‍न राज की संज्ञा लिए हुए है। अपने सकारात्‍मक प्रभाव की वजह से यह सबसे ज्‍यादा धारण किया जाने वाला रत्‍न है। बालिकाओं में विवाह और दूसरे मंगल कार्यों के लिए इसे धारण किया जाता है। पुरूषों में बृहस्‍पति मान-सम्‍मान और सामाजिक प्रतिष्‍ठा देने वाले होते हैं।

ऐसा बहुत कम बार ही देखा गया है कि पुखराज धारण करने से किसी को नुकसान हुआ हो। इसे कोई भी धारण कर सकता है लेकिन जिनकी राशि धनु और मीन हो उनके लिए यह बेहद ही अच्‍छा होता।


कब धारण करें: पुखराज को गुरूवार को प्रात: काल पूजा करने के पश्‍चात हल्‍दी से तिलक करके गुरू के मंत्रों का जाप करते हुए धारण करना चाहिए। इसको धारण करते समय मन में आस्‍था अवश्‍य हो और देव गुरू से वांछित फल की कामना भी हो। इस प्रकार अभिमंत्रित पुखराज धारण करने से वांछित फल शीघ्र प्राप्‍त होता है।

कैसे करें धारण: पुखराज को सबसे पहली अंगुली जिसे तजर्नी (Index) कहते हैं मे पहना जाता है। इसे सोने अथवा किसी पीली धातु में धारण किया जाता है। इसको धारण करने के बाद मांस वर्जित होता है और यदि खाना हो तो इसे उतार कर रख दे और फिर अगले दिन स्‍नान आदि करके पूजा के पश्‍चात दोबारा से धारण कर लें।



नीलम: रत्‍नों में सबसे ज्‍यादा चर्चित रत्‍न है नीलम। इस रत्‍न के बारे में कहा जाता है कि जिस किसी को इस रत्‍न का लाभ मिला वह देखते ही देखते रंक से राजा बन गया। इसको कभी भी बिना ज्‍योतिषाचार्य की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। यह मकर और कुंभ राशि का राशि रत्‍न होता है। इसके अलावा भी कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जब नीलम धारण करना विशेष फलदायी होता है।



कब धारण करें नीलम: नीलम को शनिवार के दिन सायंकाल में सूर्य अस्‍त के तुरंत बाद शनि देव के चरणों में स्‍वयं को समर्पित करके धारण करना चाहिए। शनि देव के मंत्रों का निरंतर जाप करने से नीलम अपनी क्षमता के कई गुना ज्‍यादा प्रभावी हो जाता है। इसलिए शनि देव के मंत्रों को अवश्‍य जपें।

कैसे करें धारण: नीलम को चांदी में धारण किया जाता है। चांदी के स्‍थान पर सफेद धातु जैसे प्‍लेटिनम का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं। इसे मध्‍यमा अंगुली में पहनते हैं। इसको भी धारण करने के बाद इस बात का ध्‍यान रखें कि कभी बड़ों विशेष कर बुजुर्गों का अनादर नहीं करना चाहिए। नीलम धारण करने के पश्‍चात आप बड़ों की सेवा करें और गरीबों के दुख को समझें तो यह आपको ज्‍यादा लाभ देता है।
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पन्‍ना: हरे रंग का यह रत्‍न बुद्धि और ज्ञान को देने वाले ग्रह बुध का रत्‍न है। बुध का रत्‍न होने के कारण इसे मिथुन और कन्‍या राशि के लोग राशि रत्‍न के स्‍वरूप में धारण कर सकते हैं। इसके अलावा अगर बौद्धिक कार्यों या गणना संबंधि कार्यों में संलिप्‍त रहते हैं तो भी पन्‍ना धारण करना बहुत लाभदायक होता है।



कब करें धारण: अभिमंत्रित पन्‍ना रत्‍न धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन बुधवार का होता है। इस दिन प्रात: काल ईश्‍वर का स्‍मरण करके पन्‍ना रत्‍न को धारण करना बहुत शुभ फलदायी होता है। पन्‍ना धारण करते समय बुध के मंत्रों का जप करें और अगर आप इसे ज्ञानार्जन के उद्देश्‍य से धारण कर रहे हैं तो मां सरस्‍वति का स्‍मरण भी अवश्‍य करें।

कैसे करें धारण: पन्‍ना रत्‍न को सोने में या किसी पीली धातु में धारण किया जाता है। इसे सबसे छोटी अंगुली में धारण करते हैं। धारण करने के बाद अगर ध्‍यान करें तो अति लाभकारी होता है। पढ़ाई कर रहे बच्‍चों के लिए तथा सॉफ्टवेयर आदि के व्‍यापार में लाभ प्राप्‍ति के लिए यह रत्‍न बहुत ही लाभकारी है।
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ओपल: ओपल शुक्र का रत्‍न है। यह सामाजिक प्रतिष्‍ठा और एश्‍वर्य देने वाला रत्‍न है। यह यौवन में वृद्धि करता है तथा शारीरिक सुख को भी बढ़ाता है। कॉस्‍मेटिक्‍स और लग्‍जरी प्रोडक्‍ट्स का व्‍यापार करने वाले लोगों के लिए यह रत्‍न बहुत ही लाभकारी होता है। यह वृषभ और तुला राशि का राशि रत्‍न है।



कब करें धारण: अभिमंत्रित पन्‍ना रत्‍न धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार का होता है। प्रात: काल पूजा आदि के पश्‍चात मां लक्ष्‍मी के मंत्रों को जपते हुए इसे धारण करना बेहतर फल देने वाला होता है। इस रत्‍न को धारण करने के बाद व्‍यक्ति को साफ सफाई और अपनी सज्‍जा का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। इससे यह रत्‍न कई गुना ज्‍यादा सकारात्‍मक प्रभाव देता है।

कैसे करें धारण: इसे मध्‍यमा अंगुली में चांदी की अंगूठी में धारण किया जाता है।

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माणिक: माणिक सूर्य देवता का रत्‍न है। ग्रहों में सबसे श्रेष्‍ठ सूर्य देवता अग्रणी, प्रभावशाली व सम्‍मानित बनाते हैं। इस रत्‍न को सिंह राशि वाले राशि रत्‍न के स्‍वरूप में धारण करते हैं। इसके अलावा कुंडली में सूर्य देव की उपस्थिति के आधार पर भी इसे धारण करने की सलाह दी जाती है। राजनीति में भविष्‍य देख रहे लोगों के लिए भी यह रत्‍न धारण करना बहुत लाभकारी होता है।



कब करें धारण: अभिमंत्रित माणिक रत्‍न धारण करने के लिए सबसे उपयुक्‍त दिन रविवार का होता है। रविवार को प्रात: सूर्य देवता को जल चढ़ाकर उसी प्रकाश में खड़े होकर सूर्य के मंत्रों का जप करते हुए इसे धारण कर लेना चाहिए। माणिक धारण करने के बाद अपनी सोच और विचारों पर नियंत्रण रखें और जो भी सोचें अच्‍छा सोचें।

कैसे करें धारण: माणिक को तांबे की अंगूठी में धारण करना सबसे ज्‍यादा लाभकारी होता है। लेकिन इसे पीली धातु में भी धारण किया जा सकता है। इसे अनामिका अंगुली जिसे अंग्रेजी में रिंग ‍फिंगर भी कहते हैं में पहना जाता है।

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मूंगा: मूंगा मंगल का रत्‍न है। इसे मेष और वृश्‍चिक राशि के जातक राशि रत्‍न के रूप में धारण कर सकते हैं। यह लाल रंग का रत्‍न शौर्य और साहस को देने वाला होता है। ऐसे जातक को अपना भविष्‍य किसी भी सेना में या पुलिस में देखते हैं तो उन्‍हें इस रत्‍न को अवश्‍य धारण कर लेना चाहिए।


कब करें धारण: मूंगा रत्‍न मंगलवार के दिन धारण करना शुभ माना गया है। इस रत्‍न को प्रात: काल स्‍नान के बाद मंगल ग्रह का मंत्र जपते हुए धारण करें। यदि संभव हो तो इसको धारण करने से पहले एक बार बजरंग बाण का पाठ कर लें।

कैसे करें धारण: मूंगा रत्‍न की अंगूठी को ताबें या सोने में जड़वाकर हाथ की अनामिका अंगुली में धारण करें। इसे मंगलवार के दिन धारण करना शुभ होता है। मूंगा धारण करने के पश्‍चात मंगलवार के दिन मांस और मदिरा का त्‍याग कर देना बहुत आवश्‍यक है।

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मोती: मोती चंद्रमा का रत्‍न है। चंद्रमा वेदिक ज्‍योतिष में सबसे महत्‍वपूर्ण ग्रह माना गया है क्‍योकि यह पृथ्‍वी के सबसे पास है और इसका सीधा प्रभाव प्राणियों में दिखता है। चंद्रमा मन और दिमाग का कारक होता है अत: इसको धारण करने से व्‍यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होता है।



कब करें धारण : मोती धारण करने का सबसे शुभ दिन सोमवार है। इस रत्‍न को शाम के समय चंद्रमा के दर्शन करके धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। इसको धारण करने के बाद ध्‍यान में अवश्‍य बैठे, बहुत लाभकारी होगा। यह कर्क राशि के लिए राशि रत्‍न होता है।

कैसे करें धारण: मोती सोमवार के दिन सबसे छोटी अंगूली में धारण करें। इसे चांदी में पहना जाता है। यह मानसिक शांति और एकाग्रचित्त होने के लिए कोई भी धारण कर सकता है।

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गोमेद और लहसुनिया: गोमेद और लहसुनिया रत्‍न का संबंध किसी राशि से नहीं होता है। गोमेद राहु का रत्‍न है और लहसुनिया केतु का रत्‍न है। ये छाया ग्रह होते है जहां उपस्थिति होते हैं उसी के अनुसार फल देते हैं। वैसे सामान्‍य दृष्टि से अगर कहा जाए तो अधिक कर्ज की स्थिति में तथा इलेक्‍ट्रॉनिक गैजेट के बहुत अधिक दिक्‍कत देने की स्थिति में गोमेद धारण करना लाभकारी होता है। इसके अलावा अगर जुआ और सट्टे से धन कमाना चाहते हैं तो भी इसे धारण किया जा सकता है।
इस प्रकार से लहसुनिया बुरी नजर से रक्षा के लिए बहुत कारगर है। इसके अलावा धन संचय के लिए भी केतु के इस रत्‍न को धारण किया जाता है।

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