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राशि अनुसार रत्नों को धारण करने की परंपरा वेदिक काल से रही है। वेदिक काल की कथाओं और वृत्तांतों में जीवन में कई दुखों और कष्टों को हरने वाला राशि रत्नों को बताया गया है। राशि अनुसार धारण किए जाने वाले रत्नों में 7 रत्न मुख्य है जिन पर आज हम राशि अनुसार चर्चा करेंगे।
सबसे पहले लेकिन यह समझना अनिवार्य है कि व्यक्ति की राशि क्या होती है। जन्म राशि अर्थात नाम राशि वेदिक ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। यह वास्तव में किसी भी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति को बताती है।
वेदिक ज्योतिष में यह मान्यता है कि मनुष्य के जीवन भर उसकी राशि और उससे संबंधित ग्रह का प्रभाव रहता है। राशि रत्न धारण करने से व्यक्ति को संबंधित ग्रह के शुभफल तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही स्वास्थ में लाभ िमिलता है, व्यापार में उन्नति होती है और मन मष्तिस्त इतना प्रभावशाली बनता है िकि वह स्वयंं अपने भाग्योदय के मार्ग पर चल पड़ता है।
तो आइए जानते हैं राशि अनुसार रत्न और उसके प्रभाव
मेष राशि और वृश्चिक राशि
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जिन व्यक्तियों के नाम का पहला अक्षर चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ होता है उनकी राशि मेष राशि होती है। मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल होता है। ऐसे लोग अपने बल पर यकीन रखते हैं और अपने साहस से किसी भी काम को संपूर्ण करने का साहस रखते हैं। इन्हें किसी से दब कर रहना बिल्कुल पसंद नहीं होता। यह सबको साथ लेकर चलने पर विश्वास रखते हैं। इनके लिए सेना या रसोई से संबंधित काम सबसे ज्यादा फल दाई होते हैं।
इन्हें जीवन में बिना रूकावट और विघ्न के आगे बढ़ते रहने के लिए मूंगा रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। मूंगा यह जीवन पर्यन्त धारण करें तो इन्हें कभी कोई कष्ट छूकर नहीं गुजरता। राशि स्वामी मंगल कर्ज मुक्ति के कारक माने गए हैं। अत: मूंगा धारण करके इस राशि के व्यक्ति कर्ज मुक्ति प्राप्त करते हैं। धन धान्य से भरपूर होने तथा व्यापार में वृद्धि के लिए भी मेष राशि के जातकों को मूंगा धारण करना चाहिए।
वृषभ राशि और तुला राशि
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वृष राशि और तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। शुक्र आकर्षण बढ़ाने व सामाजिक भोग विलास देने वाले ग्रह हैं। इस राशि से संबंधित राशि रत्न ओपल धारण करने से व्यक्ति रोगों से दूर रहता है। उसकी भोग विलास के प्रति रुचि बढ़ती है और रति क्रियाओं में वह और निपुण होकर सामने वाले को प्रभावित कर लेता है।
इसके अलावा धन का आगमन का स्रोत भी शुक्र के आशीर्वाद से खुलते हैं जिनका उपयोग गाड़ी बंगला और दूसरी ऐशो आराम की चीजों में किया जाता है।
इन राशि के जातकों को अगर व्यापार में वृद्धि चाहिए हो तो उन्हें ओपल अवश्य धारण करना चाहिए। यह पैसों को संचय करने की क्षमता देता है और व्यापार में वृद्धि के लिए बहुत उपयोगी रत्न है।
मिथुन राशि और कन्या राशि
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मिथुन राशि और कन्या राशि का स्वामी ग्रह बुध होता है। बुध ग्रह बुद्धि को देने वाला ग्रह है। यह रत्न सबसे ज्यादा पहना जाने वाला रत्न है क्योंकि यदि कोई व्यक्ति बुद्धि व विवेक से कार्य करने की क्षमता प्राप्त कर लेता है तो वह जीवन में कुछ भी प्राप्त कर सकता है।
मिथुन और कन्या राशि के जातकों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए। यदि इस राशि का कोई जातक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो उसके लिए इसे धारण करना अति लाभकारी होता है। इंजीनियरिंग, गणित, अध्यापन, वकालत और कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी यह रत्न वरदान जैसा है।
कार्य वृद्धि के लिए भी इसे धारण किया जाना चाहिए। हर प्रकार के कार्य में सफलता दिलाने की क्षमता रखने वाला यह रत्न वरदान जैसा है।
कर्क राशि
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वेदिक ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह चंद्रमा माना गया है। मनुष्य के जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव चंद्रमा का ही पड़ता है। चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी ग्रह होता है। यही कारण है कि कर्क राशि के जातक सोचने समझने में निपुण और मानसिक रूप से मजबूत होते हैं।
चंद्रमा शुभ ग्रह है इसलिए मोती धारण करना किसी के लिए भी नुकसान दायक नहीं होता है।
कर्क राशि के जातक यदि विपरीत परिस्थिति से गुजर रहे हों आर्थिक या सामाजिक संकट से गुजर रहे हों तो उन्हें मोती रत्न की अंगूठी अवश्य धारण करना चाहिए।
यह उनके मन और मस्तिष्क को मजबूत करके आगे बढ़ने के मार्ग खोलती है जिससे जातक संमृद्धि और यश प्राप्त करता है।
सिंह राशि
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सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य होता है। सूर्य नेतृत्व क्षमता देता है और जैसे नव ग्रहों में सूर्य का स्थान है वैसा ही इस राशि के जातक को बना कर रखता है। इन्हें नेतृत्व करना हमेशा आगे रहना और लोगों को साथ लेकर चलना अच्छा लगता है।
यदि सिंह राशि के जातक सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं और प्रयासों में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है तो उन्हें सिंह राशि का राशि रत्न माणिक अवश्य धारण करना चाहिए।
इसके अलावा कार्य वृद्धि के लिए धारण माणिक का धारण किया जाना अत्यंत शुभ फल देने वाला होता है। धन की हानि हो रही हो या कर्ज से दबे जा रहे हों ऐसी परिस्थिति में राशि रत्न के रुप में माणिक धारण करना अति उत्तम होता है।
धनु राशि और मीन राशि
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धनु और मीन राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति होता है। यह मान सम्मान देने, धर्म कर्म की ओर ले जाने वाले, सही मार्ग दिखाने वाले ग्रह माने गए है। इन राशि का राशि रत्न पुखराज होता है।
धनु और मीन राशि के जातक यदि कपड़े आदि का व्यापार कर रहे हो तो उन्हें यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। इसके अलावा अगर वह पारिवारिक समस्याओं से गुजर रहे हो तो भी यह रत्न धारण करना मुश्किल हो जाता है।
धनु और मीन राशि के जातकों को यदि स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी आ रही हो तो भी यह रत्न धारण करना अति उत्तम माना जाता है। सत्मार्ग में चलने और धर्म कर्म के कार्यों में रुचि रखने वाले व्यक्ति को इस क्षेत्र में बेहतर करने के लिए पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए।
मकर राशि और कुंभ राशि
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मकर राशि और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि देव हैं। शनि देव सब कुछ देने वाले ग्रह हैं। यह आपके कर्मों का फल आपको अवश्य देते हैं। इसलिए इस राशि के जातक बहुत मेहनती होते हैं और सभी चीजें अपने दम पर करने का माद्दा रखते हैं। यह लोग सेल्फ मेड होते हैं।
इन राशि के जातकों के जीवन में अगर किसी भी प्रकार का आर्थिक मानसिक या शारीरिक संकट आ रहा होता हो तो इन्हें नीलम रत्न जरूर धारण करना चाहिए।
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