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आर्थिक परेशानी है या है धन की कामना, तो ऐसे धारण करें अभिमंत्रित कछुआ अंगूठी



कछुआ अंगूठी को जानते सभी है लेकिन इसके विषय में लोगों की जानकारी आधी अधूरी ही है। आइए जानते और समझते हैं कि क्‍यों और कैसे धारण की जाती है कछुआ अंगूठी और ऐसा क्‍या है इस अंगूठी में जो लोग इसे धारण करते हैं और ज्‍योतिषी इसे पहनने की सलाह देते हैं।

नवरत्‍न जडि़त अभिमंत्रित कछुआ अंगूठी प्राप्‍त करने हेतु 7007012255 पर कॉल करें। 






मां लक्ष्‍मी के उत्‍पन्‍न होने की कहानी तो सबने सुनी होगी। समुद्र मंथन की महान घटना से मां लक्ष्‍मी उत्‍पन्‍न हुई जिसे स्‍वयं भगवान विष्‍णु को ग्रहण किया। लेकिन प्रश्‍न ये है कि समुद्र मंथन की घटना में भगवान विष्‍णु किस रूप में शामिल थे। वह कश्‍चप यानि की कछुए के अवतार के रूप में पूरे मंथन का भार अपनी पीठ पर उठाए हुए थे और वही कारण बने मां लक्ष्‍मी के उत्‍पन्‍न होने का।

इसी से समझा जा सकता है कि मां लक्ष्‍मी के आवाहन के लिए कछुए की अंगूठी धारण करना कितना शुभकारी है।

ज्‍योतिषीय सलाह: उपायों के रूप में रत्‍नों को धारण करना बहुत आम बात है। लोग रत्‍नों को अंगूठी के रूप में या फिर इसे लॉकेट के रूप में भी पहनते हैं। लेकिन जैसा ही आप सब जानते हैं, रत्‍नों को प्राप्‍त करने और उसकी अंगूठी या लॉकेट बनवाने की प्रक्रिया में कई जगह धोखा होने की संभावना होती है, इसके अलावा रत्‍नों को धारण करने के लिए कुंडली दिखवाने की बाध्‍यता भी बताई जाती है। ऐसे में सभी के लिए रत्‍न धारण करना संभव नहीं होता है। इसलिए इस प्रकार के ज्‍योतिषीय उपाय बताए गए हैं जो चमत्‍कारिक रूप से असरदार तो हैं किन्‍तु उसको धारण करने के लिए किसी भी तरह की सलाह की आवश्‍यक्‍ता नहीं है।

ऐसा ही उपाय है कछुआ अंगूठी जिसे धारण करने से धन संबं‍धी समस्‍याओं से मुक्ति मि‍लती है और धन्‍य धान्‍य की प्राप्‍ति होती है।

कछुआ अंगूठी का रहस्‍य: वास्‍तव में कछुए के महत्‍व के संबं‍ध में शास्‍त्रों में एक घटना है। जिसे हम समुद्र मंथन के नाम से जानते हैं। समुद्र मंथन में अमृत से लेकर विष तक सब कुछ इस पृथ्‍वी को दिया। पृथ्‍वी को संपन्‍न करने वाली इस घटना की जड़ में भगवान विष्‍णु कछुए के अवतार में विराजमान थे तभी समुद्र मंथन की ऐतिहासिक घटना हो सकी। इन्‍होंने ही पूरी धरती को विभिन्‍न चीजों से संपन्‍न किया तो हमें भी अवश्‍य ही सम्‍पन्‍न करेंगे और धन आदि देकर संमृद्ध बनाएंगे।

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इसके अलावा पुराणों में कछुए का संबंध मां लक्ष्‍मी से है। ऐसा विश्‍वास है कि कछुआ अंगूठी धारण करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और मनचाहा वर देती हैं।

वास्‍तु शास्‍त्र में भी कछुए को संम्‍पन्‍नता का प्रतीक माना गया है। यह कई दोषों को शांत करती है साथ ही इसका सबसे बड़ा असर धारण करने वाले के आत्‍मविश्‍वास पर पड़ता है। इसको धारण करने वाला आत्‍मविश्‍वास से भर जाता है।

ध्‍यान रखने योग्‍य बातें:

1: जो कछुआ रिंग आप धारण करें वह अभिमंत्रित अवश्‍य हो।
2: इसे हाथ की सबसे छोटी अंगुली और अंगूठे में नहीं धारण करना चाहिए। इसके अलावा यह तीन में से किसी भी अंगुली में पहन सकते हैं।
3: कछुए का मुंह हमेशा हमारे शरीर की तरफ होना चाहिए। अगर इसका मुंह बाहर की तरफ धारण करके धारण करेंगे तो आता धन भी रुक जाएगा।
4: इस अंगूठी को चांदी या फिर पंचधातु में धारण करना चाहिए।
5: इस अंगूठी को हमेशा उस हाथ में धारण कीजिए जिससे आप अधिकतम काम करते हों।
6: इस अंगूठी का संबंध मां लक्ष्‍मी से है तो इसको धारण करने का दिन भी निश्‍चि‍त है। इसे शुक्रवार के दिन प्रात: काल धारण किया जाता है।
7: धारण करने से पूर्व इस अंगूठी को शुक्रवार के दिन दूध और पानी से धोकर, अगर बत्‍ती दिखा कर फिर उसके बाद मां लक्ष्‍मी को ध्‍यान करते हुए धारण करें।
8: एक बार धारण करने के बाद इसे ज्‍यादा उतारना और पहनना या बार बार हाथ नहीं लगाना चाहिए।

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