बहुत लोगों के मन में यह दुविधा होती है कि कहीं उनका पहना
हुआ राशि रत्न अपना शुभ प्रभाव डालेगा या नहीं। इसके अलावा कुछ लोगों कि शिकायत
भी होती है कि मैंने इतने माह से या साल से रत्न धारण किया हुआ है इसके बाद भी
जीवन में कोई अच्छा परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। कभी सोचा है आपने ऐसा क्यों होता है। आखिर क्या कारण हो
सकता है कि एक ऐसी चीज जो पौराणिक काल मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी रही
है वह हमारे काम नहीं आ रही है।
चलिए इस पर विचार करते हैं कि वह
क्या कारण हो सकते हैं जिसके कारण विशेष प्रभाव वाले रत्न भी मामूली पत्थर जैसे
बनकर रह जात हैं।
रत्न पृथ्वी के गर्भ में विशेष
प्रक्रिया के बाद बनते हैं। हमारे ऋषि मुनियों के अनुसार इन रत्नों का संबंध उनके
रंग और प्रकृति के अनुसार अलग अलग ग्रहों से किया गया है। पृथ्वी के गर्भ से
निकलने के समय यह रत्न असीम ऊर्जा को अपने अंदर समेटे होते हैं।
थोड़ा विचार इस बात पर भी कीजिए कि
रत्नों को खदान से बड़ी बड़ी चट्टानों के रूप में प्राप्त किया जाता है। इसके
उपरांत इसे तराश कर अलग अलग स्वरूप दिया जाता है। यही से शुरू होता है इसकी कीमत
और उपयोग का किस्सा। उस एक ही चट्टान से प्राप्त रत्नों को उनकी सुंदरता के
आधार पर अलग-अलग किया जाता है। जो रत्न जितना सुंदर दिखता है उसकी कीमत उतनी ही
अधिक हो जाती है। और उसी चट्टान के जिस हिस्से में रंग आदि की कुछ अनीमियता होने
पर उसका दाम एकदम कम हो जाता है।
अगर रसायनिक स्वरूप देखेंगे तो आप
पाएंगे कि कम दाम और अधिक दाम वाले रत्न का रसायनिक स्वरूप एक ही है। यह तथ्य
कुछ ज्योतिषियों की इस बात को स्वत: ही मिथ्या साबित कर देता है कि जो रत्न
जितना पारदर्शी होगा अर्थात जितना महंगा होगा वह उतना लाभदायक होगा। मेरे अनुभव पर
यकीन कीजिए कि ऐसा कुछ भी नहीं होता और महंगा रत्न ज्यादा लाभ की गारंटी दे या न
दे लेकिन ज्यादा मुनाफे की गारंटी अवश्य देता है इसलिए इसका इतना प्रचार प्रसार
किया गया है कि ज्योतिष आशा में उपलब्ध कराए जाने वाले रत्नों के दाम सुनकर
लोगों को यह यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि यह रत्न असली है या नकली।
अब आइए बात करते है रत्नों के
प्रभावी होने की कुछ बहुत मामुली सी शर्तों पर:
किसी भी रत्न के आप तक पहुंचने की
एक लंभी प्रक्रिया होती है और इस बीच ऊर्जा का यह स्रोत कई हाथों से होकर गुजरता
है। अगर रत्न के अच्छे या बुरे प्रभाव ऐसे ही मिलते तो इन्हें रखने वालों पर भी
इसका सही या गलत प्रभाव अवश्य पड़ता लेकिन ऐसा होता नहीं है। हमारे ऋषि मुनियों
ने रत्नों के रूप में ऊर्जा के इस स्वरूप को जाग्रत करने की एक विशेष प्रक्रिया
बताई है। रत्नों की ऊर्जा को जाग्रत करने की इस प्रक्रिया को रत्नों का
अभिमंत्रण कहते हैं। जिसे अंग्रेजी में Energization कहते
हैं। बिना ऊर्जित किया गया रत्न चाहे नीलम हो या पुखराज वह एक सामान्य पत्थर के
टुकड़े जैसा ही होता है। यह सबसे प्रमुख कारण है किसी रत्न के काम न करने का, अक्सर लोग इन रत्नों को जाकर
किसी ज्वेलर की दुकान से खरीद लेते हैं जहां इतनी कीमत तो अधिक होती ही है क्योंकि
ज्वेलर का काम फैशन की चीजों को बेचने का होता है न कि ज्योतिषीय लाभ की चीजों
को।
इसके बाद जब व्यक्ति किसी का पहना
हुआ रत्न धारण करता है तो भी यही होता है। किसी का धारण किया हुआ रत्न उस व्यक्ति
की ऊर्जा के अनुसार काम करता होगा और कई तरह की नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा का
संचार उस रत्न द्वारा हुआ होगा। ऐसे में किसी दूसरे की ऊर्जा का आपके शरीर की
ऊर्जा से तारतम्य बनाना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इस बात को हमेशा देख लिया
जाए कि आप जिस रत्न को धारण करने जा रहे हैं वह रत्न किसी दूसरे का पहना हुआ तो
नहीं है। लगभग सभी ज्वेलर अपने बेचे हुए रत्न हो आधे दाम में खरीदने का काम करते
हैं और वहीं रत्न बाद में किसी दूसरे को दे देते हैं। यहां मुनाफे के इस खेल में
रत्न ज्योतिषीय उपयोग के लिए धारण करने योग्य रह ही नहीं जाता है। ऐसे रत्न को
धारण करने के बाद व्यक्ति का विश्वास तो रत्न से टूटता ही है साथ ही ज्योतिष
पर भी लोगों का विश्वास कम हो जाता है।
तीसरी बात तो बहुत सामान्य है कि
जिस रत्न को धारण करने जा रहे हैं वह खंडित न हो।
इन तीनों बातों के साथ और एक सबसे
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि लोग अपने लाभ के लिए रत्न तो धारण कर लेते हैं किन्तु
आस्था के नाम पर वह शून्य होते हैं। उनका दिन रात इस रत्न की ऊर्जा पर शंका
करने में ही जाता है और वह हर छोटी छोटी चीज को इस रत्न के प्रभाव से जोड़कर
देखते हैं। यह मान के चलिए कि आध्यात्मिक चीजें किसी भी तरह से आंख बंद करते ही
चमत्कार करने वाली नहीं होती। यह जीवन में परिवर्तन तो लाती है लेकिन ऐसे
परिवर्तन को महसूस करने के लिए आपको अपनी सारी इंद्रियों को खुला रखना होगा और
उनके अंदर अपनी ऊर्जा में परिवर्तन देखने होंगे और उसी के अनुसार कार्य करने
होंगे।
यकीन मानिए रत्न पहनकर सोते रहने
से आपको आपकी पलंग के नीचे कोई गढ़ा खजाना नहीं मिलने वाला। इसलिए सभी पाठकों से
अनुरोध है कि अपनी आंख नाक कान खुले रखें जागरूक बनें और ज्योतिष का इस्तेमाल
जीवन को साकार बनाने की राह दिखाने वाली ज्योति की तरह करें।
आप सब के शुभ जीवन की कल्पना और
प्रार्थना के साथ सप्रेम
आचार्य राम
हमारे संस्थान ज्योतिष आशा से
अभिमंत्रित रत्न प्राप्त करने के लिए 7007012255 पर फोन करें। यदि आप चाहेंगे तो
अपने रत्न की अभिमंत्रण प्रक्रिया में मामूली शुल्क देकर शामिल हों सकते हैं।
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