यदि कोई व्यक्ति कर्ज के बोझ में दबा हो तो उसका दर्द केवल वो ही समझ सकता है। जीवन व्यर्थ सा लगने लगता है। बार- बार उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ता है। कर्ज में डूबे व्यक्ति का जीवन नरक सा हो जाता है। बहुत बार तो यह भी देखा गया है कि कर्ज के बोझ तले दबा व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है। वह धीरे धीरे अपनों से भी दूर-दूर रहने लगता है। आचार्य अभिनव ने कर्ज से दबे व्येक्तियों की कुंडली का अध्ययन किया और निष्कर्ष पर पहुंचे कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह नीच का हो या शुभ फल देने की स्थिति में न हो। इसके अलावा अगर अशुभ मंगल की दृष्टि 6 ठें , 11 वें और 12 वें भाव में पड़ रही हो तो भी व्याक्ति कर्ज में डूब जाता है और पाई पाई को मोहताज होता है। यह स्थिति और भयावाह तब हो जाती है जब शनि की ढैया , साढेसाती , महादशा या अंतरदशा आ जाए। यदि मंगल और शनि एक साथ अशुभ प्रभाव देने पर आ गए तो कर्ज के साथ बदनामी होगी। जगह-जगह अपमानित होना पड़ेगा। उपाय: कर्ज की स्थिति में मंगल ग्रह को शांत करना बहुत आवश्योक होता है और सारे उपाय उसी से संबंधित होते हैं। कर्ज जब अध...