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Showing posts from August, 2018

आर्थिक परेशानी है या है धन की कामना, तो ऐसे धारण करें अभिमंत्रित कछुआ अंगूठी

कछुआ अंगूठी को जानते सभी है लेकिन इसके विषय में लोगों की जानकारी आधी अधूरी ही है। आइए जानते और समझते हैं कि क्‍यों और कैसे धारण की जाती है कछुआ अंगूठी और ऐसा क्‍या है इस अंगूठी में जो लोग इसे धारण करते हैं और ज्‍योतिषी इसे पहनने की सलाह देते हैं। नवरत्‍न जडि़त अभिमंत्रित कछुआ अंगूठी प्राप्‍त करने हेतु 7007012255 पर कॉल करें।  COD में ऑडर करें।  मां लक्ष्‍मी के उत्‍पन्‍न होने की कहानी तो सबने सुनी होगी। समुद्र मंथन की महान घटना से मां लक्ष्‍मी उत्‍पन्‍न हुई जिसे स्‍वयं भगवान विष्‍णु को ग्रहण किया। लेकिन प्रश्‍न ये है कि समुद्र मंथन की घटना में भगवान विष्‍णु किस रूप में शामिल थे। वह कश्‍चप यानि की कछुए के अवतार के रूप में पूरे मंथन का भार अपनी पीठ पर उठाए हुए थे और वही कारण बने मां लक्ष्‍मी के उत्‍पन्‍न होने का। इसी से समझा जा सकता है कि मां लक्ष्‍मी के आवाहन के लिए कछुए की अंगूठी धारण करना कितना शुभकारी है। ज्‍योतिषीय सलाह: उपायों के रूप में रत्‍नों को धारण करना बहुत आम बात है। लोग रत्‍नों को अंगूठी के रूप में या फिर इसे लॉकेट के रूप में भी पह...

पौरुषता का रत्‍न है टाइगर आई स्‍टोन

पृथ्‍वी ने अपनी गोद में मानव जीवन के विकास के लिए काफी कुछ छिपा रखा है। मानव निरंतर नई खोज करता जाता है और उससे लाभान्‍वित होता जाता है।  पृथ्‍वी की गोद से निकलने वाला ऐसा ही एक रत्‍न है टाइगर आई स्‍टोन जिसे हिन्‍दी में ‘ व्‍याघ्र मणि ’ भी कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस रत्‍न का ये नाम इसलिए रखा क्‍योंकि यह दिखने में बाघ की आंख जैसा होता है। इस रत्‍न के बीच में एक चमकीली धारी होती है जो कि प्रकाशपुंज के समान होती है। जैसे जैसे आपकी नजरें इस रत्‍न के चारों ओर होती हैं वह लाइन भी साथ साथ चलती है। इसमें पीली और काली धारियां होती हैं।  इसको धारण करने के लाभ भी इसके नाम से समझा जा सकता है। यह पौरुषता का रत्‍न होता है। इसे धारण करने से कमजोर से कमजोर पुरुष भी ताकत व जोश से भर जाता है। उसका तेज ही उसके सम्‍मान का कारण बनता है।  टाइगर आई रत्‍न वास्‍तव में सूर्य और मंगल ग्रह के फलों को कई गुना बढ़ा देता है। इसलिए ऐसे व्‍यक्ति जिन्‍हें किसी भी कारण से सम्‍मान नहीं मिलता उन्‍हें भी इस रत्‍न को अवश्‍य धारण करना चाहिए। ऐसे नेता गढ़ जो बहुत प्रयास के बाद भी र...

इसलिए नहीं मिलता धारण रत्‍न का शुभ फल: महत्‍वपूर्ण जानकारी

बहुत लोगों के मन में यह दुविधा होती है कि कहीं उनका पहना हुआ राशि रत्‍न अपना शुभ प्रभाव डालेगा या नहीं। इसके अलावा कुछ लोगों कि शिकायत भी होती है कि मैंने इतने माह से या साल से रत्‍न धारण किया हुआ है इसके बाद भी जीवन में कोई अच्‍छा परिवर्तन देखने को नहीं मिला है। कभी सोचा है आपने ऐसा क्‍यों होता है। आखिर क्‍या कारण हो सकता है कि एक ऐसी चीज जो पौराणिक काल मानव जीवन के लिए महत्‍वपूर्ण और उपयोगी रही है वह हमारे काम नहीं आ रही है।  चलिए इस पर विचार करते हैं कि वह क्‍या कारण हो सकते हैं जिसके कारण विशेष प्रभाव वाले रत्‍न भी मामूली पत्‍थर जैसे बनकर रह जात हैं।  रत्‍न पृथ्‍वी के गर्भ में विशेष प्रक्रिया के बाद बनते हैं। हमारे ऋषि मुनियों के अनुसार इन रत्‍नों का संबंध उनके रंग और प्रकृति के अनुसार अलग अलग ग्रहों से किया गया है। पृथ्‍वी के गर्भ से निकलने के समय यह रत्‍न असीम ऊर्जा को अपने अंदर समेटे होते हैं।  थोड़ा विचार इस बात पर भी कीजिए कि रत्‍नों को खदान से बड़ी बड़ी चट्टानों के रूप में प्राप्‍त किया जाता है। इसके उपरांत इसे तराश कर अलग अलग स्‍वरूप ...